श्री विश्वकर्मा भगवान की गौरव गाथा - श्री विश्वकर्मा वंश सुथार दर्पण



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Wednesday, 10 January 2018

श्री विश्वकर्मा भगवान की गौरव गाथा

जय श्री विश्वकर्मा जी की…..!


हिन्दू धर्म में प्रत्येक मानव जनो और देवो के द्वारा पूजनीय विश्वकर्मा भगवान की जयंती  प्रत्येक हिंदी वर्ष के अनुसार माघ शुक्ल 13 को विश्वकर्मा जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। और विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष अंग्रेजी मास के अनुसार 16 या 17 सितम्बर को मनाई जाती है।  इस वर्ष 17 सितम्बर 2017 को विश्वकर्मा पूजा है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में जितनी भी राजधानियां थी, उसका निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया है।

सतयुग, कलयुग, स्वर्ग लोक, त्रेता युग की लंका, द्वापर की द्वारिका तथा हस्तिनापुर आदि नगरों के शिल्पकार विश्वकर्मा जी ही है। इससे अभिप्राय ये है कि धन-धान्य और सुख-समृद्धि की अभिलाषा रखने वालों व्यक्तियों को भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना मंगलदायी है। जो मनुष्य विश्वकर्मा जी की पूजा श्रद्धा-भाव से करता है, उनकी कार्यक्षेत्र में इच्छित लाभ की प्राप्ति होती है।

श्री विश्वकर्मा भगवान की जन्म कथा


पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारम्भ में भगवान विष्णु जी क्षीर सागर में शेषशय्या पर प्रकट हुए। भगवान विष्णु जी के नाभि-कमल से चतुर्मुख भगवान ब्रह्मा जी दृष्टिगोचर हुए। भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव हुए।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार धर्म की वस्तु नामक स्त्री से उत्पन्न वास्तु सातवें पुत्र थे जो शिल्पकला के प्रवर्तक थे। वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा जी उत्तपन्न हुए। पिता की भांति विश्वकर्मा जी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बने।


विश्वकर्मा भगवान अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न केवल मानवो अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है । भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कार्यो के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है । पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होने वाली वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनायी गयी है । कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है । ये “शिल्पशास्त्र” के अविष्कार कर्ता हैं।






श्री विश्वकर्मा जयंती


जैसा की पूर्व में बताया प्रत्येक हिन्दू वर्ष के अनुसार प्रतिवर्ष माघ शुक्ल 13 को विश्वकर्मा जयंती बड़े ही धूम धाम के साथ मनाई जाती है। इस दिन हवन और कई विशेष तरह के आयोजन होते है। इस दिन सब जगह पुरे शहर में विश्वकर्मा भगवान की ढ़ोल नगाड़ो के साथ सोभा यात्रा निकलती है।




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