बेटी बचाओ बेटी पढाओ - श्री विश्वकर्मा वंश सुथार दर्पण



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Sunday, 29 October 2017

बेटी बचाओ बेटी पढाओ



बेटी बचाओ बेटी पढाओ 








सदियों से हमारे देश भारत में बेटियों को लक्ष्मी देवी का दर्जा दिया जाता रहा है लक्ष्मी यानी धन, ऐश्वर्य  एंव सुख समृधि की देवी जिनके आने से ही से ही घरो में खुशिया आ जाती है पूरा परिवार खुशहाल हो जाता है ठीक उसी प्रकार बेटियों के जन्म से लोगो में अपरम्पार खुशिया होती थी लेकिन समय के बीतने के साथ ही कुछ सामाजिक कुरूतियो के चलते इन सामाजिक कुरूतियो का कोपभाजन इन बेटियों को ही उठाना पड़ा है इन सामाजिक कुरूतियो में दहेज़ प्रथा, बाल विवाह, बेटियों की अशिक्षा, समाज में बराबर का हिस्सा न होना, भूर्ण हत्या, सामजिक शोषण, यौन शोषण जैसे अनेको बुराईयों के चलते आज के समय में अब यही बेटिया इस समाज में खुद को सुरक्षित नही पाती है और इन्ही बुराईयों से इन बेटियों को बचाने के लिए हमारे देश में अनेको प्रयास भी किये जाते रहे है जिसका जीता जागता उदाहरण वर्तमान में बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना





हमारे देश में खासकर दहेज़ प्रथा एक ऐसी कुप्रथा है जिसके चलते बेटियों के विवाह में बहुत अधिक धन देना पड़ता है जो की एक गरीब माँ बाप के लिए इस दहेज़ प्रथा को निर्वहन करना आसान नही होता है जिसके चलते बेटियों के जन्म को एक गरीब के लिए अभिशाप माना जाने लगा जिसका दुष्परिणाम यह हुआ की बच्चियों के जन्म या जन्म से पहले ही उन्हें गर्भ में मार दिया जाता है क्यूकी अगर कोई गरीब किसी तरह अपनी बच्ची की परवरिश कर भी दिया तो अप्पने इस प्यारी सी बेटी के शादी के लिए इतने धन कहा से लाएगा और यदि कम धन के चलते किसी तरह अपनी बच्ची की शादी कर भी दिया तो दहेज़ रूपी इस राक्षस के चलते उस बच्ची को दहेज़ के चलते मार या जला दी जाती है यानी हर हाल में इन सामाजिक कुरूतियो का कोपभाजन इन प्यारी बेटियों को ही होना पड़ता है

लेकिन अब इन बेटियों के बचाव और सुरक्षित भविष्य के लिए हमारे देश की सरकारे नई नई योजनाये भी ला रही है जिनमे बेटियों की जीवन रक्षा और उनके जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बेटियों की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है जिसे बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के नाम से जाना गया है जिसका मुख्य मकसद बेटियों की जीवन की रक्षा के साथ साथ बेटियों को समाज में उचित शिक्षा और एक समान अधिकार भी मिले







अक्सर कहा जाता है की “बेटी है तो कल है”, जरा सोचिये अगर हमारे समाज में बेटिया ही नही रहेगी तो फिर मानव जाति का अंत ही हो जायेया, क्यूकी वंश को आगे बढ़ाने के लिए बेटियों का होना आवश्यक है जरा सोचिये बहु तो सब लाना चाहते है लेकिन बेटियों को कोई नही पालना चाहता है यदि सब अपनी बेटियों को ही मार देंगे तो फिर बहु कहा से लायेगे ? यह कथन हमारे समाज की उस सच्चाई को दिखाता है की आज भी इन बेटियों के रूप एक लड़की के जन्म को तिरस्कार के ही रूप में देखा जाता है

एक बाप अपने बेटी की गर्भ में हत्या कराना चाहता है तो सुनिए उस बेटी के मुख से क्या निकलता है “ पापा मुझे मत मारो, मै भी तो आपके इस प्यारे परिवार रूपी बगीचे का एक फूल ही तो हु, भले ही आप मुझे नही चाहते तो कोई नही पापा जरा सोचिये पापा, जैसे मै अपने पैरो पर चलना सीख जाउंगी सबसे पहले मै ही अपने इन नन्हे नन्हे हाथो से आपके लिए दौड़ कर मै ही पानी लाउंगी पापा, आप को जब कोई जरूरत होगी सबसे पहले मै ही आपके दुःख में हाथ बटाउंगी पापा, अप मुझे भले ही मुझे अपनी परी नही बनाकर रखना चाहते है कोई नही पापा, मै तो अपने जीवन के बदले आपसे कभी कुछ न मागूगी और न ही कोई ऐसी इच्छा भी रखुगी जिससे आपको कोई तकलीफ हो, मै तो आप लोगो के लिए जीवन भर सेवा धर्म निभाउंगी, जब तक आपके पास रहूंगी आपको तकलीफ नही आने दूंगी और ससुराल में जाने के बाद भी आपके मान मर्यादा को मै ही आगे हमेसा बढ़ाउंगी पापा, और जब कोई तकलीफ हो पापा मुझे एक बार पुकार लेना मै कही भी रहू दौड़ी चली आउंगी पापा, बस आप मुझे इस दुनिया में आने दो, मुझे आप एक जीवन देंगे और फिर मैं आपके दिए इस जीवन से आपका हमेसा मान बढ़ाउंगी पापा”

भले ही उपरोक्त बाते काल्पनिक हो सकती है लेकिन एक बेटी अपने पूरे जीवन में हमेसा त्यागभाव से सदैव दुसरो की सेवा में तत्पर रहती है

इसलिए हर माता पिता को अपने बेटे और बेटी में कोई फर्क न करते हुए अपनी बेटियों को भी जीवन जीने का अधिकार देना चाहिए और बेटियों को भी शिक्षा जरुर दिलानी चाहिए क्यूकी जब एक बेटी पढ़ती है तो दो परिवार मजबूत होते है





वैसे देखा जाय तो बेटी बचाओ बेटी पढाओ कोई एक योजना नही है यह समय के मांग की जरूरत है जिस प्रकार हमारे समाज में चिकित्सा क्षेत्र में नये नये आविष्कार हुए है जिनके चलते अब गर्भ में पता लगा लिया जाता है की जो गर्भ में पल रहा है वह बेटी है या बेटा, अगर बेटी है तो लोग गर्भ में ही बेटियों कोमार दिया जा रहा है जिसके चलते कन्या भ्रूण हत्या में बहुत अधिक वृद्धि आई है जो की एक बहुत चिंताजनक और सोचने वाली बात है आज भी हमारे समाज में यह समझा जाता है अगर बेटा हुआ तो वह पढ़लिखकर परिवार का नाम रोशन करेगा और पानी कमाई से परिवार को आगे बढ़ाएगा लेकिन लोग यह भूल जाते है अगर इन बेटियों को भी उचित शिक्षा और सम्मान मिले तो कभी भी ये बेटिया भी किसी भी क्षेत्र में पीछे नही रहती है







इसलिए यदि यह कहा जाय की बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना नही हम सबकी एक जिम्मेदारी है तो इसमें कोई गलत नही है यदि हम सभी एक अच्छे समाज का निर्माण करना चाहते है तो हम सबका यही फर्ज बनता है हम इन बेटियों को भी पढाये और उन्हें इतना सशक्त बनाये की खुद गर्व से कह सके की देखो वह हमारी बेटी है जो इतना बड़ा काम कर रही है खुद को गौरवान्वित करने वाली बात होंगी




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