भगवान विश्वकर्मा जी किसके पुत्र थे?: - श्री विश्वकर्मा वंश सुथार दर्पण



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Friday, 4 August 2017

भगवान विश्वकर्मा जी किसके पुत्र थे?:


                 ॥ॐ श्री विश्वकर्मणै नम:॥




दोस्तो, क्या आप जानते है कि भगवान विश्वकर्मा जी किसके पुत्र थे?

या यू कहिये कि उनके माता पिता का नाम क्या था?




उनका शिल्प कला से क्या नाता था?




ये मै आपको बता रहा हुँ क्योकि विश्वकरमा वँशी के लिये जानना जरुरी है। ब्रह्मा जी के पुत्र महर्षि अँगिरा हुए और अँगिरा के पुत्र बृहस्पति जी हुए। इनकी एक बहन थी जिसका नाम था वरस्त्री। ये ब्रह्मचारिणी वेदो की पँडिता और योग सिद्धा थी। और अपने योग बल से भ्रमण करती रहती थी। कालान्तर मे यही वरस्त्री अर्थात बृहस्पति की बहन, महर्षि प्रभास की भार्या हुई। महर्षि प्रभास वसु और वरस्त्री से ही कलाधिपति भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ जिसे हम 'वसु पुत्र विश्वकर्मा' कहते है। अत: यह महर्षि धर्म के पौत्र और महर्षि प्रभास के पुत्र थे। विश्व ब्रह्म कुलोत्साह सँग्रह 2' के अनुसार विश्वकर्मा वसु देवता के पुत्र थे। "वसु पुत्रो विश्वकर्मा" वसुपुत्र विश्वकर्मा जी जन्म कब कहा हुँआ आदि प्श्न विवादास्पद है। वास्तव मे सँसार कि जितनी महान विभूतिय अवतार या महान व्यक्ति हुए है कालान्तर मे उनका जन्म तथा उनके जीवन से सम्बन्धित घटनाए एक पहेली बनकर रह गए है। महात्मा कबीर ईसामसीह भगवान महाबीर भगवान कृष्ण कब इनका जन्म हुआ इस बारे मे प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। वसु पुत्र विश्वकर्मा जी की जन्म तिथि निश्चित करने के लिए हम चार मुख्य आधार इस सम्बन्ध मे मानते है। 1, धर्म ग्रन्थो के प्रमाण। 2, ज्योतिषाचार्यो के मत। 3, किर्ववदन्तिया एवँ प्रचलित परम्पराए। 4, अन्य उपलब्ध सामग्री। जिनमे जन्म का उल्लेख हुआ है वे ग्रन्थ है वशिष्ठ पुराण, स्कन्द पुराण, भविष्यत् पुराण आदि। वृद्ध वशिष्ठ पुराण मे एक प्रसँग आता है जिसमे भगवान विश्वकर्मा जी के जन्म के सम्बन्ध मे स्यँम् महादेव पार्वती से कहते है "हे पार्वती माघ मास की त्रयोदशी तिथि के पुनर्वसु नक्षत्र के अट्ठाइसवे अँश मे मैँ विश्वकर्मा के रूप मे जन्म लेता हूँ"। यह प्रमाण अपने आप मेँ पूर्ण है। अत: विश्वकर्मा जी भगवान शिव का रुप भी थे। इनकी शिक्षा के बारे मे अगली पोस्ट मे बताया जायेगा।

6 comments:

  1. Vishvakarma ji inke putra kon hai? Unka naam kya hai?

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    1. कन्दपुराण के नागर खण्ड में भगवान विश्वकर्मा के वशंजों की चर्चा की गई है । ब्रम्ह स्वरुप विराट श्री.विश्वकर्मा पंचमुख है । उनके पाँच मुख है जो पुर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऋषियों को मत्रों व्दारा उत्पन्न किये है । उनके नाम है – मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और देवज्ञ ।

      ऋषि मनु विष्वकर्मा - ये "सानग गोत्र" के कहे जाते है । ये लोहे के कर्म के उध्दगाता है । इनके वशंज लोहकार के रुप मे जानें जाते है ।

      सनातन ऋषि मय - ये सनातन गोत्र कें कहें जाते है । ये बढई के कर्म के उद्धगाता है। इनके वंशंज काष्टकार के रुप में जाने जाते है।

      अहभून ऋषि त्वष्ठा - इनका दूसरा नाम त्वष्ठा है जिनका गोत्र अहंभन है । इनके वंशज ताम्रक के रूप में जाने जाते है ।

      प्रयत्न ऋषि शिल्पी - इनका दूसरा नाम शिल्पी है जिनका गोत्र प्रयत्न है । इनके वशंज शिल्पकला के अधिष्ठाता है और इनके वंशज संगतराश भी कहलाते है इन्हें मुर्तिकार भी कहते हैं ।

      देवज्ञ ऋषि - इनका गोत्र है सुर्पण । इनके वशंज स्वर्णकार के रूप में जाने जाते हैं । ये रजत, स्वर्ण धातु के शिल्पकर्म करते है, ।

      परमेश्वर विश्वकर्मा के ये पाँच पुत्रं, मनु, मय, त्वष्ठा, शिल्पी और देवज्ञ शस्त्रादिक निर्माण करके संसार करते है । लोकहित के लिये अनेकानेक पदार्थ को उत्पन्न करते वाले तथा घर ,मंदिर एवं भवन, मुर्तिया आदि को बनाने वाले तथा अलंकारों की रचना करने वाले है । इनकी सारी रचनाये लोकहितकारणी हैं । इसलिए ये पाँचो एवं वन्दनीय ब्राम्हण है और यज्ञ कर्म करने वाले है । इनके बिना कोई भी यज्ञ नहीं हो सकता ।

      मनु ऋषि ये भगनान विश्वकर्मा के सबसे बडे पुत्र थे । इनका विवाह अंगिरा ऋषि की कन्या कंचना के साथ हुआ था इन्होने मानव सृष्टि का निर्माण किया है । इनके कुल में अग्निगर्भ, सर्वतोमुख, ब्रम्ह आदि ऋषि उत्पन्न हुये है ।

      भगवान विश्वकर्मा के दुसरे पुत्र मय महर्षि थे । इनका विवाह परासर ऋषि की कन्या सौम्या देवी के साथ हुआ था । इन्होने इन्द्रजाल सृष्टि की रचना किया है । इनके कुल में विष्णुवर्धन, सूर्यतन्त्री, तंखपान, ओज, महोज इत्यादि महर्षि पैदा हुए है ।

      भगवान विश्वकर्मा के तिसरे पुत्र महर्षि त्वष्ठा थे । इनका विवाह कौषिक ऋषि की कन्या जयन्ती के साथ हुआ था । इनके कुल में लोक त्वष्ठा, तन्तु, वर्धन, हिरण्यगर्भ शुल्पी अमलायन ऋषि उत्पन्न हुये है । वे देवताओं में पूजित ऋषि थे ।

      भगवान विश्वकर्मा के चौथे महर्षि शिल्पी पुत्र थे । इनका विवाह भृगु ऋषि की करूणाके साथ हुआ था । इनके कुल में बृध्दि, ध्रुन, हरितावश्व, मेधवाह नल, वस्तोष्यति, शवमुन्यु आदि ऋषि हुये है । इनकी कलाओं का वर्णन मानव जाति क्या देवगण भी नहीं कर पाये है ।

      भगवान विश्वकर्मा के पाँचवे पुत्र महर्षि दैवज्ञ थे । इनका विवाह जैमिनी ऋषि की कन्या चन्र्दिका के साथ हुआ था । इनके कुल में सहस्त्रातु, हिरण्यम, सूर्यगोविन्द, लोकबान्धव, अर्कषली इत्यादी ऋषि हुये ।

      इन पाँच पुत्रो के अपनी छीनी, हथौडी और अपनी उँगलीयों से निर्मित कलाये दर्शको को चकित कर देती है । उन्होन् अपने वशंजो को कार्य सौप कर अपनी कलाओं को सारे संसार मे फैलाया और आदि युग से आजलक अपने-अपने कार्य को सभालते चले आ रहे है ।

      विश्वकर्मा वैदिक देवता के रूप में मान्य हैं, किंतु उनका पौराणिक स्वरूप अलग प्रतीत होता है। आरंभिक काल से ही विश्वकर्मा के प्रति सम्मान का भाव रहा है। उनको गृहस्थ जैसी संस्था के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माता और प्रवर्तक कहा माना गया है। वह सृष्टि के प्रथम सूत्रधार कहे गए है

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  2. भगवान विश्वकर्मा जी की पत्नी कौन थी वह भगवान विश्वकर्मा जी के पुत्र नल नील वह उनकी बहन यह कौन थे

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  3. आखिरी कौन है विश्वकर्मा भगवान हमें कमेंट करके बताइए और इनके माता-पिता कौन है

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  4. विश्वकर्मा जी के दो पत्नियां थी पहली पत्नी का नाम चित् 5 पुत्र हुए थे और दूसरी पत्नी एक नाग कन्या थी जिनके दो पुत्रियां हुई थी

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